अनुभूति कहाँ से ढूँढ लाउं ?
सूरज की सुनहरी किरणें रचना --डॉ आर सुमन लता
सुहानी चाँदनी
कोयल की कुहुक
पक्षियों की चहक
झील का किनारा
मन्दिर का चबूतरा
गोधूलि वेला
बैसाखी का मेला
सब के सब
सूरज की सुनहरी किरणें रचना --डॉ आर सुमन लता
सुहानी चाँदनी
कोयल की कुहुक
पक्षियों की चहक
झील का किनारा
मन्दिर का चबूतरा
गोधूलि वेला
बैसाखी का मेला
सब के सब
मात्र बाल्यकाल की स्मृतियाँ
सपनों तक सीमित अनुभूतियाँ !!
कारखानों की सीटियों में
सूर्य के उदयास्तों को सिमटाकर
कलुषित जल-वायु को
प्राणाधार बनाकर
प्रदूषित "जलवायु '' को
प्राणों का आधार मानकर
बढ़ती आवश्यकताओं और
घटते मूल्योँ पर निर्मित
आज के कांक्रीट जंगलों में
जहाँ पड़ोसी में ही परदेसी सा लगता है ,
आर्थिक बंधनों से ग्रसित हार्दिक बंधनों के संकट में
आतप सेवन और
शरदज्योत्स्ना में स्नान
सावन के झूले
अगहन के मेले
हरी -भरी क्यारियाँ
रंग बिरंगी फुलवारियाँ
आकाश दीप की मालाएं
झूमती -नाचती बालायें
लगते हैं भूले -बिसरे मधुर गीत ,
दिखते हैं कोश के शब्द अतीत !!
ढूँढूँ तो अर्थ को पाऊँ
किन्तु अनुभूति कहाँ से लाऊँ ?